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इस राज्य में किसान फूल की खेती से सालाना लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं

इस राज्य में किसान फूल की खेती से सालाना लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं

करड़ी गांव के किसान विशाल सिंह का कहना है, कि पहले वह मजदूरी किया करते थे। इससे उनके घर का खर्चा भी नहीं चलता था। प्रति माह उनको 12 से 15 हजार रुपये ही मिलते थे। अधिकांश लोगों का मानना है, कि हिमाचल प्रदेश में किसान केवल सेब की ही खेती किया करते हैं। परंतु, इस प्रकार की कोई बात नहीं है। यहां के किसान बाकी राज्यों के किसानों की भांति मक्का, गेहूं, धान एवं सब्जियों की बड़े पैमाने पर खेती करते हैं। विशेष बात यह है, कि हिमाचल प्रदेश के किसानों ने तो अब फूल की खेती भी चालू कर दी है। इससे किसान भाइयों को अच्छी आमदनी हो रही है। यहां के किसानों द्वारा उगाए गए फूल की मांग संपूर्ण राज्यों में हो रही है।

हिमाचल प्रदेश के किसान फूल की खेती कर रहे हैं

आज तक की खबर के अनुसार, वैसे तो पूरे हिमाचल प्रदेश में किसान फूल की खेती कर रहे हैं। परंतु, हमीरपुर जनपद की बात बिल्कुल अलग है। यहां के करड़ी गांव में 30 किसान फूल की खेती कर रहे हैं। इन किसानों के लिए फूल की खेती ही जीवन यापन का मुख्य स्त्रोत है। वह फूल की खेती से वर्ष में 5 से 6 लाख रुपये की आमदनी कर रहे हैं। साथ ही, उद्यान विभाग का कहना है, कि जनपद में साढ़े 7 हेक्टेयर के रकबे में किसान फूल की खेती कर रहे हैं। यहां के किसान फूल बेचकर अच्छी-खासी आमदनी कर रहे हैं।

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किसान फूलों को विक्रय कर कितना मुनाफा कमा रहे हैं

करड़ी गांव के रहने वाले किसान विशाल सिंह का कहना है, कि पहले वह मजदूरी किया करते थे। जिससे उनके घर का खर्च भी नहीं चल पाता था। महीन में उनको 12 से 15 हजार रुपये ही मिलते थे। अब ऐसी स्थिति में विशाल सिंह चंडीगढ़ से नौकरी छोड़ने के उपरांत गांव आ गए एवं फूल की खेती करने की योजना बनाई। इसके लिए उन्होंने विद्यान विभाग के कार्यालय में जाकर जानकारी प्राप्त की और 4 पॉली हाउस का निर्माण करवाया। फिलहाल, वह पॉली हाउस में खेती करके 5 से 6 लाख रुपये की वार्षिक आमदनी कर रहे हैं। साथ ही, इसी गांव के किसान करनैल सिंह का कहना है, कि पहले वह बेरोजगार थे। तभी उद्यान विभाग से फूल की खेती करने की जानकारी प्राप्त हुई। अनुदान पर उन्होंने 4 पॉलीहाउस का निर्माण किया और फूलों की खेती चालू कर दी। वर्तमान में वह फूल बेचकर वर्ष में 5 लाख रुपये की आमदनी कर रहे हैं।

करनैल सिंह कौन-कौन से फूल उगा रहे हैं

किसान करनैल सिंह अपने खेत में गेंदा एवं कारनेशन के फूल उत्पादित कर रहे हैं। उनकी मां का कहना है, कि पहले वह अपने बेटे को फूल की खेती करने से रोक रहे थे। परंतु, उनका अनुमान बिल्कुल गलत सिद्ध हुआ। उनका बेटा फिलहाल फूल की खेती से अच्छी-खासी आमदनी कर रहा है। नादौन उद्यान विभाग की कृषि अधिकारी निशा मेहरा का कहना है, कि जनपद में बहुत सारे किसान फूल की खेती कर रहे हैं। फूल की खेती से बेरोजगार युवा खूब धनवान हो गए हैं। यहां पर उद्यान विभाग किसानों को पॉली हाउस निर्माण के लिए अनुदान भी देता है।
आर्मी से सेवानिवृत कैप्टन प्रकाश चंद ने बागवानी शुरू कर लाखों की कमाई

आर्मी से सेवानिवृत कैप्टन प्रकाश चंद ने बागवानी शुरू कर लाखों की कमाई

पूर्व कैप्टन प्रकाश चंद ने बताया है, कि गेहूं एवं मक्का जैसी पारंपरिक फसलों की खेती में कोई खास लाभ नहीं है। ऐसी स्थिति में किसानों को अब बागवानी की तरफ रुख करना चाहिए। क्योंकि बागवानी के अंतर्गत कम लागत में ज्यादा मुनाफा है। दरअसल, हम जिस शख्सियत के संबंध में बात करने जा रहे हैं, उनका नाम प्रकाश चंद है। पूर्व में वह भारतीय सेना में कैप्टन के पद कार्यरत थे। रिटायरमेंट लेने के उपरांत उन्होंने गांव में आकर खेती चालू कर दी। विशेष बात यह है, कि अभी उनकी आयु 70 साल है। वे इस आयु में भी खुद से खेती कर रहे हैं। ऐसे कैप्टन प्रकाश चंद हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जनपद स्थित कैहड़रू गांव के मूल निवासी हैं। वह इस आयु में भी बागवानी कर रहे हैं।

पूर्व कैप्टन प्रकाश चंद ने लगभग 2 लाख रुपये की मौसंबी बेची हैं

उनका 20 कनाल जमीन में मौसंबी का बाग है। इससे उन्हें प्रति वर्ष लाखों रुपये की आमदनी हो रही है। पूर्व कैप्टन प्रकाश चंद का कहना है, कि उन्होंने गांव आकर बागबानी की शुरुआत की, तो दूसरे वर्ष उन्हें 60 हजार रुपये की आमदनी हुई। वहीं, तीसरे वर्ष में उन्होंने लगभग 2 लाख रुपये का मौसंबी बेचा। हालांकि, इस वर्ष ज्यादा बारिश की वजह से बाग को बेहद नुकसान पहुंचा है। फिर, भी उनका कहना है कि इस बार 4 लाख रुपये का मुनाफा होगा।

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बागवानी से बढ़ी पूर्व कैप्टन प्रकाश चंद की आमदनी

कैप्टन प्रकाश चंद का कहना है, कि वह वर्ष 2019 से बागवानी कर रहे हैं। उन्होंने एचपी शिवा प्रोजेक्ट के अंतर्गत बागवानी चालू की है। एचपी प्रोजेक्ट के अंतर्गत किसानों को बागबानी का प्रशिक्षण एवं आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई जाती है। ऐसी स्थिति में उन्होंने एचपी शिवा प्रोजेक्ट के अंतर्गत बंजर पड़ी 20 कनाल भूमि पर मौसंबी एवं अनार की खेती चालू कर दी। मुख्य बात यह है, कि पूर्व कैप्टन अब अपने मौसंबी तथा अनार के बाग में सब्जी भी उगा रहे हैं। इससे उनकी आमदनी भी काफी बढ़ गई है।
पंजाब के किसानों की फिर हुंकार 22 से 26 जनवरी तक करेंगे हड़ताल

पंजाब के किसानों की फिर हुंकार 22 से 26 जनवरी तक करेंगे हड़ताल

पंजाब के किसानों ने एक बार फिर हड़ताल करने का बिगुल बजा दिया है। किसानों का यह आंदोलन 22 जनवरी से शुरू होकर 26 जनवरी तक चलेगा। पंजाब में किसानों की अभी एक हड़ताल समाप्त हुई ही थी, कि अब कृषक पुनः एक बार हड़ताल करने की योजना बनाई है। अब अगर इसकी वजह पर नजर डालें तो यह नई कृषि नीति पेश करने में राज्य सरकार की "विफलता" है। इसको लेकर किसान 22 जनवरी से 26 जनवरी तक डिप्टी कमिश्नरों के कार्यालयों के समक्ष विरोध प्रदर्शन करेंगे।

कृषि नीति का मसौदा तैयार करने के लिए 11 सदस्यीय समिति का गठन

बतादें, कि विगत वर्ष जनवरी में तत्कालीन कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने 31 मार्च 2023 तक नई कृषि नीति का मसौदा तैयार करने के लिए 11 सदस्यीय समिति का गठन किया था। विभिन्न मीडिया एजेंसियों के अनुसार इस समिति के एक सदस्य ने नाम ना बताने की शर्त पर कहा कि फिलहाल नीति का मसौदा तैयार नहीं हुआ है। समिति के कुछ सदस्य विदेश गए थे, इसके चलते नीति पर चर्चा काफी लंबित है। शीघ्र ही, इसको अंतिम रूप देने के लिए बैठक आयोजित की जाऐगी।

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आप सरकार द्वारा जल्द किया जाऐगा ऐलान

बतादें, कि इसी कड़ी में आम आदमी पार्टी (AAP) पंजाब के मुख्य प्रवक्ता मलविंदर सिंह कांग का कहना है, कि राज्य के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हाल ही में इस मुद्दे पर कृषकों से वार्तालाप की है। राज्य में आप सरकार के लिए कृषि नीति सर्वोच्च प्राथमिकता है। तकरीबन 5 हजार कृषकों से सुझाव पहले ही लिए जा चुके हैं। नीति में विलंब के विषय में प्रवक्ता ने कहा कि 2000 के बाद कोई कृषि नीति नहीं आई और आप सरकार ने सत्ता में आने के शीघ्र उपरांत नीति पर कार्य प्रारंभ कर दिया था। उनका कहना है, कि नीति का ऐलान जल्द ही किया जाऐगा।

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बीकेयू (एकता उग्राहन) ने पहले ही अल्टीमेटम दिया था

दरअसल, बीकेयू (एकता उग्राहन) ने पूर्व में ही सरकार को 21 जनवरी तक नीति का ऐलान करने अथवा फिर विरोध का सामना करने का अल्टीमेटम दिया हुआ है। यूनियन के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरी कलां का कहना है, कि हमने पहले ही नीति में शामिल किए जाने वाले किसान समर्थक कदमों को लेकर ज्ञापन दिया है। मगर ऐसा लगता है, कि सरकार कॉरपोरेट्स के दबाव में आ आकर इसमें विलंब कर रही है। वहीं, बीकेयू (कादियान) के राष्ट्रीय प्रवक्ता रवनीत बराड़ का कहना है, कि सरकार ने किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए समस्त फसलों पर एमएसपी एवं नवीन कृषि नीति का वादा किया था। लेकिन, सत्ता में आने के लगभग 2 साल के पश्चात भी कुछ नहीं किया गया है।

किसान भाई 31 जनवरी से पहले ये काम जरूर करलें वर्ना अटक जाऐगी किस्त

किसान भाई 31 जनवरी से पहले ये काम जरूर करलें वर्ना अटक जाऐगी किस्त

यदि आपने भी पीएम किसान योजना के तहत ई-केवाईसी की प्रक्रिया पूर्ण नहीं की है, तो आज ही इसे पूर्ण कर लें। वर्ना आपकी 16वीं किस्त अटक सकती है। सरकार ने इसके लिए आखिरी तिथि निर्धारित कर दी है। भारत के करोड़ों किसानों के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना से संबंधित एक बड़ा अपडेट सामने आया है। किसान भूलकर भी इसे अनदेखा न करें। क्योंकि, ऐसा करने से उनकी 16वीं किस्त की धनराशि अटक सकती है। 

दरअसल, ये अपडेट ई-केवाईसी को लेकर है। जिन किसानों ने अभी तक पीएम किसान योजना के लिए अपनी ई-केवाईसी नहीं करवाई है। वह शीघ्रता से इसको पूर्ण करा लें। समय रहते अगर ऐसा नहीं किया तो आपकी 16वीं किस्त अटक सकती है। अब ऐसी स्थिति में किसान भाई आज ही अपनी ई-केवाईसी की प्रक्रिया को पूर्ण कर लें।

अगर आपने यह नहीं किया तो खाता बंद हो जाऐगा 

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि जिन कृषकों ने अब तक अपनी ई- केवाईसी (How to do PM Kisan e-KYC) की प्रक्रिया संपन्न नहीं कराई है। वह जल्दी इसको पूर्ण करें। इसके लिए 31 जनवरी की अंतिम तिथि निर्धारित की गई है। ऐसा न करने से कृषकों के खाते में पीएम किसान की 16वीं किस्त की धनराशि नहीं आएगी। सिर्फ इतना ही नहीं, ई- केवाईसी नहीं करवाने वाले कृषकों के खाते भी निष्क्रिय हो जाऐंगे। 

पंजीकरण के लिए शिविर आयोजित करा रही सरकार 

इस योजना का फायदा अधिक से अधिक किसानों को मिल सके। इसके लिए भारत संकल्प यात्रा के अंतर्गत ग्राम पंचायत मुख्यालय पर विशेष शिविरों का भी आयोजन किया जा रहा है। ऐसी स्थिति में जिन कृषकों ने अब तक पंजीकरण नहीं कराया है। वे सीएससी या ई-मित्र की मदद से अप्लाई कर सकते हैं।

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बतादें, कि इस योजना के अंतर्गत कृषकों को प्रति वर्ष 6 हजार रुपये दिए जाते हैं। जो दो-दो हजार रुपये की किस्त में कृषकों के खाते में आते हैं। ऐसे भी किसानों के पास 2 हेक्टेयर तक जमीन होती है। उन्हें ही इस योजना का फायदा दिया जाता है। ऐसे किसान जिन्होंने अब तक आधार सीडिंग और भूमि सत्यापन नहीं कराया है, उन्हें ये काम काफी शीघ्रता से निपटा लेना चाहिए। अगर 31 जनवरी तक केवाईसी पूर्ण नहीं होती है, तो उन्हें योजना के लिए अपात्र मान लिया जाऐगा।

पीएम किसान के लिए ई-केवाईसी अनिवार्य

योजना से जुड़ी ई-केवाईसी करवाने के लिए आप अपने नजदीकी सीएससी सेंटर अथवा नजदीकी बैंक शाखा में विजिट कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त आप घर बैठे भी पीएम किसान पोर्टल पर ई-केवाईसी की प्रक्रिया पूर्ण कर सकते हैं। इसके लिए वेबसाइट पर प्रदान किए गए ई-केवाईसी के विकल्प पर क्लिक करें और आगे के प्रोसेस को फॉलो करते रहें। अगर आप ऑनलाइन ई-केवाईसी करवाना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए स्टेप्स को फॉलो कर सकते हैं।

  • ई-केवाईसी करने के लिए सर्व प्रथम पीएम किसान योजना की आधिकारिक वेबसाइट www.pmkisan.gov.in पर जाऐं।
  • अब इसके उपरांत होम पेज पर ई-केवाईसी पर टैप करें। 
  • यहां अब अपना आधार नंबर और बाकी जरूरी जानकारी दर्ज करें। 
  • ऐसा करते ही आपके नंबर पर एक ओटीपी आएगा, उसको डालें। आपकी ई-केवाईसी पूर्ण हो जाएगी। 
  • इसके अतिरिक्त किसान सीएससी सेंटर पर जाकर ऑफलाइन भी ई-केवाईसी प्रक्रिया को संपन्न कर सकते हैं। 

केंद्र सरकार ने प्याज निर्यात पर प्रतिबंध को हटाया, प्याज किसानों में खुशी की लहर

केंद्र सरकार ने प्याज निर्यात पर प्रतिबंध को हटाया, प्याज किसानों में खुशी की लहर

प्याज किसानों के लिए एक बड़ी खुशी की खबर है। केंद्र सरकार ने प्याज के निर्यात को हरी झंडी दिखा दी है, जिससे किसानों को काफी सहूलियत मिलेगी। दरअसल, बीते कुछ वर्षों से प्याज किसानों की दिक्कत-परेशानियां कुछ ज्यादा ही बढ़ गई हैं। 

2022 में प्याज की कीमतो में गिरावट के पश्चात किसानों के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई थी। हालात ये थे की किसानों को अपना प्याज 1 से 2 रुपये किलो तक में बेचने को मजबूर होना पड़ा था। 

2023 के मध्य तक स्थिति ऐसी ही थी। प्याज की कम कीमत के चलते किसान लागत तक नहीं वसूल पा रहे थे। हालांकि, अगस्त 2023 में प्याज की कीमतों में सुधार देखने को मिला और भाव तेजी से बढ़े। 

परंतु, बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार ने 8 दिसंबर 2023 को प्याज के नियमित आयात पर 40% प्रतिशत की इम्पोर्ट ड्यूटी लगा दी थी। लेकिन इससे भी बात नहीं बनी, तो सरकार को मजबूरन कीमतों को नियंत्रित करने के लिए प्याज के निर्यात पर बैन लगाना पड़ा था। जो 31 मार्च तक जारी रहेगा।

प्याज निर्यात को केंद्र की हरी झंडी

प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगने के बाद, महाराष्ट्र की मंडियों में प्याज का थोक मूल्य 4000 रुपये प्रति क्विंटल से 800 से 1000 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गया था। इस वजह से किसानों की परेशानियां और अधिक बढ़ गई थीं। 

क्योंकि, प्याज को बर्बाद होने से बचाने के लिए कृषकों को लागत से कम कीमत पर प्याज बेचने पर मजबूर होना पड़ा था। लेकिन, लोकसभा चुनाव से पूर्व केंद्र सरकार ने एक बार फिर प्याज निर्यात को हरी झंडी दिखा दी है। 

इन देशों में प्याज निर्यात को मंजूरी मिली 

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि प्याज के एक्सपोर्ट पर रोक लगाने के 85 दिन बाद, केंद्र सरकार ने एक्सपोर्ट को हरी झंडी दिखाई है। सरकार ने सशर्त प्याज एक्सपोर्ट को मंजूरी दी है। 

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वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की तरफ से इस संबंध में जारी की गई एक अधिसूचना के मुताबिक, भारत से संयुक्त अरब अमीरात और बांग्लादेश को प्याज एक्सपोर्ट किया जाएगा। 

दोनों देशों को एक कुल मिलाकर 64,400 टन प्याज निर्यात किया जाएगा। मीडिया खबरों की मानें तो भूटान, मारीशस और बहरीन जैसे देशों में भी प्याज निर्यात को मंजूरी मिली है। इन देशों में तकरीबन 4700 टन प्याज भारत से निर्यात किया जाएगा।

इस राज्य में सिंचाई पंप सेट पर मिल रहा भारी अनुदान, जानें आवेदन प्रक्रिया

इस राज्य में सिंचाई पंप सेट पर मिल रहा भारी अनुदान, जानें आवेदन प्रक्रिया

किसान भाइयों को सिंचाई की बेहतर सुविधा देने के मकसद से प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना चलाई जा रही है। योजना के अंतर्गत कृषकों को कृषि सिंचाई यंत्रों पर सब्सिडी का लाभ मुहैय्या कराया जाता है, जिससे कि वे सिंचाई में काम आने वाले कृषि यंत्रों की सस्ती कीमत पर खरीद कर सकें। 

इसी कड़ी में मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से कृषकों को सिंचाई पंप सेट पर सब्सिडी दी जा रही है। 

सिंचाई पंप सेट पर राज्य सरकार की ओर से किसानों को 55 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है। ऐसी स्थिति में किसान आधी कीमत पर सिंचाई के लिए पंप सेट की खरीद कर सकते हैं। 

इसके लिए राज्य सरकार की तरफ से राज्य के किसानों से आवेदन आमंत्रित किए जा रहे हैं। इच्छुक किसान इस कल्याणकारी योजना के तहत आवेदन करके सब्सिडी का फायदा प्राप्त कर सकते हैं।

पंप सेट का उपयोग किन कार्यों में किया जाता है ?  

पंप सेट की सहायता से किसान कुएं और तालाब या होद जो भी जल संचय के लिए तैयार किया गया है। इस पंप सेट का उपयोग पानी को बाहर निकालने के लिए किया जाता है। 

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पंप सेट की सहायता से किसान पानी को गहरे जल संचय स्त्रोतों से निकालकर पाइप द्वारा इच्छित जगह पर ले जा सकते हैं। 

साथ ही, कृषि सिंचाई यंत्र की मदद से फसलों की सिंचाई का कार्य कर सकते हैं। सिंचाई पंप सेट दो तरह के होते हैं। पहला डीजल पंप सेट और दूसरा विद्युत पंप सेट। इनकी कीमतें भी भिन्न-भिन्न होती हैं।

सिंचाई पंप सेट पर कितना अनुदान मिलेगा ? 

उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से राज्य के किसानों को सिंचाई यंत्रों पर 40 से लेकर 55% प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। इसमें पंप सेट पर किसानों को 55% प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। 

इसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अत्यंत पिछड़ा वर्ग और लघु व सीमांत किसानों को 55% प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी। जबकि सामान्य किसानों को 40% प्रतिशत ही अनुदान दिया जाएगा।

योजना का लाभ उठाने के लिए जरूरी कागजात  

अगर आप योजना के अंतर्गत सिंचाई पंप की खरीद पर सब्सिडी का लुफ्त उठाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको ऑनलाइन माध्यम से आवेदन करना होगा। 

आवेदन करते समय आवेदक की आधार कार्ड की कॉपी, बैंक पासबुक के प्रथम पेज की कॉपी, सक्षम अधिकारी द्वारा जारी जाति प्रमाण-पत्र (केवल अनुसूचित जाति एवं जनजाति किसानों के लिए), बी-1 की प्रति, बिजली कनेक्शन का प्रमाण पत्र आदि दस्तावेजों का होना बेहद जरूरी है। 

सिंचाई पंप के लिए आवेदन की प्रक्रिया क्या है ?

अगर आप मध्यप्रदेश के किसान हैं, तो आप इस योजना के अंतर्गत पंप सेट खरीदने के लिए अनुदान का लाभ हांसिल कर सकते हैं। 

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योजना के अंतर्गत कृषि सिंचाई यंत्र प्राप्त करने के लिए आप इस योजना की आधिकारिक वेबसाइट https://farmer.mpdage.org/home/LandingIndex# पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। 

वहीं, योजना से जुड़ी ज्यादा जानकारी के लिए किसान अपने जनपद के कृषि विभाग से संपर्क साध सकते हैं।

पाइप लाइन के लिए भी अनुदान प्रदान किया जाएगा

मध्य प्रदेश के कृषकों को सिंचाई पंप पर अनुदान के अतिरिक्त खेत में पाइप लाइन बिछाने के लिए भी सब्सिड़ी का फायदा प्रदान किया जाएगा। 

राज्य के कृषकों को राष्ट्रीय मिशन ऑन ईडिबल ऑइल तिलहन (National Mission on Edible Oil Oilseeds), खाद्य एवं पोषण सुरक्षा दलहन (Food and Nutrition Security Pulses), पोषण सुरक्षा गेहूं (nutritional security wheat), पोषण सुरक्षा टरफा योजना (Nutrition Security Turfa Scheme) के तहत किसानों को पाइप लाइन एवं डीजल/विदयुत पंप सेट (Pipe Line and Diesel/Electric Pump Set) पर सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाएगा। 

बतादें, कि इसके अतिरिक्त बुंदेलखंड के लिए विशेष पैकेज दलहन के तहत भी पाइप लाइन सेट व पंपसेट पर अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा। 

इस योजना के  अंतर्गत राज्य के पात्र किसान आवेदन करके पाइप लाइन व डीजल/विद्युत पंप पर अनुदान का फायदा हांसिल कर सकते हैं।